My first post in Hindi and quite a personal one at that.
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता
जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है
ज़ुबाँ मिली है मगर हमज़ुबाँ नहीं मिलता
कभी किसी को मुकम्मल......
बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले
ये ऐसी आग है जिसमे धुआँ नहीं मिलता
कभी किसी को मुकम्मल......
तेरे जहाँ में ऐसा नहीं कि प्यार न हो
जहाँ उम्मीद हो इसकी, वहाँ नहीं मिलता
कभी किसी को मुकम्मल......
This is from a 1981 movie called 'Ahista Ahista' with words by Nida Fazli.